pariyon ki kahani hindi mai | परियों की कहानी |

pariyon ki kahani |बुरी संगति का फल
pariyon ki kahani hindi mai
उज्जयिनी नगर के मार्ग में एक विशाल शीशम का पेड़ था । वहाँ हंस और कौआ दो मित्र रहते थे । एक बार गर्मी के मौसम में थका हुआ, एक यात्री उस पेड़ के नीचे अपने धनुष तीर को रख कर सो गया।थोड़ी दर पश्चात् , जिसे -जिसे सूर्य आकाश में ऊपर चढ़ आया , उसके मुख से पेड़ की छाया हट गई । तब धूप से उसके मुख को तपसा हुआ देख कर उस पेड़ पर बैठे हुए एक हंस ने अपने दोनों पंख फैला कर फिर उसके मुख पर छाया कर दी ।।
कुछ देर बाद यात्री की नींद खुली । उसने करवट बदलते हुए मुंह खोल कर जम्हाई ली । तभी दूसरे के सुख को सह न सकने वाले कोए ने उस यात्री के मुंह पर बीठ कर दी।और उड़ कर दूसरे पेड़ पर जा बैठा। मुहँ पर बीठ गिरते ही यात्री को बहुत गुस्सा आया ।गुस्से में यात्री ने उठ पर ऊपर देखा तो उसे वहाँ पंख फैलाये हुए हंस दिखाई दिया। यात्री ने सोचा की अवश्य ही यह बीठ ऊपर बैठे हंस ने की होगी ,यह सोच कर उसे हंस पर बढ़ा गुस्सा आया, उसने झठ अपना तीर उठाया और हंस को निशाना बना कर तीर चला दिया हंस ने वही तड़प –तड़प कर जान दे दी
pariyon ki kahani hindi mai
इसीलिये नीतिवान कहते हैं बुरे आदमी की संगति नहीं करनी चाहिए , क्योकि इसका फल बुरा ही मिलता हे
हमारी कहानी पड़ने के लिए धन्यवाद ।।
pariyon ki kahani hindi mai
पागलखाने में आग
एक बार एक पागलखाने में आग लग गई । हवा तेज होने के कारण आग एक दम फेल गई । चारो तरफ हाहाकार मच गई । करीब की बस्ती के लोग आग की लपटे देख कर पागलखाने की ओर दौड़े।
जब लोग घटनास्थल पर पहुंचे तो यह देख कर दंग रह गये कि सब पागल पागलखाने की छत पर खड़े नाच रहे थे । नाच के साथ – साथ वे अपनी -अपनी बेसुरी आवाजों में गीत भी गए रहे थे। नीचे खड़े लोगो में से एक ने चिल्ला कर कहा , ” भाई लोगो , तुम्हारा मकान में आग लग गई हैं। जल्दी नीचे उतरो , नही तो सभी जल कर रख हो जाओगे ।”
पागलो ने बड़ी लापरवाही से उत्तर दिया , ” तुम सब पागल हो। आज एक आरसे के बाद हम लोग दिवाली मना रहे हैं ।तुम चुचाप चले जाओ , हमारे रंग में भंग मत डालो ।” यह कह कर वे फिर नव्हने -गाने में मस्त हो गए । नीचे खड़े लोगो ने उन्हें समझाने की हर सम्भव कोशिश की , लेकिन उन्होंने किसी की न सूनी। देखते -देखते आग ने सब पागलो को अपनी लपेट में ले लिया और उन्हें कबाब की तरह भून डाला ।
ऐसी ही हालत माया की चमक -दमक में फंसे इंसान की हैं । संत उन्हें लाख समझाये , प्रभु भक्ति की लाख प्रेरणा गए , उन् लोगो को संतो की बात महज पागलपन हे लगती हैं । उन यही लगता हैं कि संतजन उनकी ‘खुसी ‘ से जल कर उन ऐसे उपदेश दे रहे हैं।
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें संत जनो कि हर बात को मानना चाहिए । हम सब एक ही ईश्वर की संतान हैं । आओ दोस्तों हम प्राण लें की हम संत जनो कि हर बात को मानेगे।
हमारी कहानी पड़ने के लिए धन्यवाद ।।